संवेदनशीलता और सख़्ती का संतुलन: आईजी सुभाष चंद्र दुबे का जन-पक्षीय पुलिसिंग मॉडल

 सिस्टम की खामियों को दुरुस्त करने वाले


जनता के लिए सहज और अपराधियों के लिए कठोर अधिकारी


जन्मदिन विशेष-


विनय मौर्या


वाराणसी। पुलिस व्यवस्था को लेकर आमतौर पर लोगों में शिकायतें अधिक सुनने को मिलती हैं, मगर इसी व्यवस्था के भीतर कुछ अधिकारी ऐसे भी होते हैं जो न केवल सिस्टम की खामियों को दुरुस्त करते हैं बल्कि अपने संवेदनशील और स्नेहील स्वभाव से जनता का भरोसा भी जीतते हैं। इन्हीं नामों में प्रमुख हैं महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन (WOMEN & CHILD SECURITY WING) के आईजी सुभाष चंद्र दुबे।


मूल रूप से सुल्तानपुर निवासी सुभाष चंद्र दुबे 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। कई जिलों में एसएसपी/कप्तान रह चुके हैं और जहां भी रहे, अपने संतुलित, सरल व व्यवहार-कुशल नेतृत्व के कारण जनता के बीच लोकप्रिय बने। सुभाष चंद्र दुबे की कार्यशैली की सबसे खास बात यह है कि वे जनता के प्रति अत्यंत विनम्र और सहज रहते हैं, लेकिन अपराधियों के लिए उतने ही कठोर और निर्णायक। उनकी इसी दोहरी क्षमता संवेदनशीलता और सख़्ती ने उन्हें एक भरोसेमंद पुलिस अधिकारी के रूप में स्थापित किया है।


श्री दुबे की पहचान एक ऐसे अधिकारी के रूप में है जो किसी भी हाल में राजनीतिक दबाव या किसी नेता का अर्दब पसंद नहीं करते। उनके लिए कानून और पीड़ित की प्राथमिकता सर्वोपरि है। ट्रैफिक विभाग रहा या महिला एवं बाल सुरक्षा विंग । हर दायित्व में उनकी भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां वे संवेदनशील मामलों में त्वरित कार्रवाई, पीड़ितों की मदद और सिस्टम की कमजोरियों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।


सुभाष चंद्र दुबे स्वयं जन-संपर्क पुलिसिंग के दृष्टिकोण में विश्वास रखते हैं जहां जनता से सीधे संवाद, जागरूकता और भावनात्मक संवेदनशीलता के साथ कार्य करना प्राथमिकता है। सोशल मीडिया व प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से उन्होंने इस दिशा में पहल की है। 


सुभाष चंद्र दुबे को जो नजदीक से जानता है वह उन्हें मानता है। अपने शांत, संतुलित और व्यावहारिक नेतृत्व के साथ सुभाष चंद्र दुबे पुलिस सेवा में उस सकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसकी आज के दौर में सबसे ज्यादा जरूरत है।





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