…तो बारूद के ढेर पर बैठा है बनारस…!


बेपरवाही या किसी बड़ी दुर्घटना का इंतज़ारइस

 
प्रतीकात्मक चित्र

विभाग की उदासीनता कभी भयावह हादसे का बन सकती है कारण

विनय मौर्या/ त्रिपुरेश्वर त्रिपाठी सोनू

वाराणसी।अपनी बसावट में कसावट समेटे काशी भीड़भाड़, तंग गलियों और संकरे रास्तों पर बसी है। इसी काशी में रोज़ाना हजारों लोगों का आना-जाना होता है कोई घूमने-फिरने, कोई काम-धंधे, दवा-इलाज और पढ़ाई के लिए। होटल, हॉस्पिटल, स्कूल, रेस्टोरेंट और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में दिन-रात लोगों की आवाजाही लगी रहती है। हैरानी की बात यह है कि इन्हीं प्रतिष्ठानों में बड़ी संख्या ऐसी है जो अग्निशमन मानकों के विपरीत संचालित हो रही हैं सीधे शब्दों में कहें तो नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।


यह तथ्य और भी चौंकाने वाला है क्योंकि यह नगरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कर्मभूमि है। यहां मुख्यमंत्री से लेकर तमाम वीवीआईपी का नियमित आना-जाना रहता है। इसके बावजूद शहर में अग्नि-सुरक्षा को लेकर जिस स्तर की सतर्कता होनी चाहिए, वह कहीं दिखाई नहीं देती। इससे भी ज्यादा गंभीर सवाल अग्निशमन विभाग की भूमिका पर खड़े होते हैं, जो या तो उदासीनता बरत रहा है या फिर किसी साठगांठ की बू साफ महसूस होती है।


जानकार बताते हैं कि फायर सेफ्टी नियमों के तहत हर व्यावसायिक भवन में वैध अग्निशमन एनओसी, पर्याप्त फायर एग्ज़िट, फायर अलार्म सिस्टम, फायर हाइड्रेंट, प्रशिक्षित स्टाफ और  मॉक ड्रिल अनिवार्य है। लेकिन वाराणसी की हकीकत यह है कि कई भवनों के पास एनओसी ही नहीं है और जिनके पास है, उनमे से कई  उसकी शर्तें पूरी नहीं करते। संकरे रास्ते, अवरुद्ध निकासी द्वार और बेसमेंट-ऊपर तक फैला अवैध निर्माण किसी भी समय भयावह त्रासदी को न्योता दे सकता है।


देश ने हाल के वर्षों में कई बड़े अग्निकांड देखे हैं। गोवा का वह भयावह हादसा हाल का ही है जो लोगों के ज़ेहन में ताज़ा है, जहां  कार्यक्रम स्थल पर आग लगने से कई जानें चली गईं। देश के कई अग्निकांडों ने भी यह सिखाया कि लापरवाही का अंजाम कितना घातक हो सकता है। सवाल यह है कि क्या बनारस किसी ऐसी ही बड़ी दुर्घटना का इंतज़ार कर रहा है।


यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अग्निशमन विभाग की गंभीर लापरवाही या कथित साठगांठ के चलते बनारस आज बारूद के ढेर पर बैठा प्रतीत होता है। अगर समय रहते सख्त जांच, वास्तविक निरीक्षण और नियमों का कड़ाई से पालन नहीं कराया गया, तो किसी दिन एक चिंगारी पूरे शहर को जला सकती है। सवाल सिर्फ नियमों का नहीं, हज़ारों ज़िंदगियों की सुरक्षा का है। पड़ताल जारी है  जल्द ही नामों के साथ बड़ा खुलासा 


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