'न्याय न मिलने पर मांगा इच्छा मृत्यु': एक अधिकारी की बिटिया ने योगी सरकार से निराश होकर राष्ट्रपति को लिखा मार्मिक पत्र !
त्रिपुरेश्वर त्रिपाठी सोनू
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की कानून-व्यवस्था और न्याय प्रणाली एक बार फिर कठघरे में है। वाराणसी जिला जेल की पूर्व डिप्टी जेलर मीना कनौजिया की बेटी नेहा शाह ने राष्ट्रपति को 20 पेज का पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। यह मामला पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह के खिलाफ गंभीर आरोपों से जुड़ा है, जिन पर कई जांचों में दोषी पाए जाने के बावजूद अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है।
नेहा शाह ने अपने पत्र में लिखा, "अब मुझे सिस्टम पर भरोसा नहीं रहा। इस देश में मेरी मां को कोई न्याय नहीं दिला सकता। मैं ऐसा जीवन नहीं जीना चाहती जिसमें मुझे हर दिन डर के साए में रहना पड़े।"
नेहा का यह पत्र न सिर्फ एक बेटी के टूटते विश्वास की कहानी है, बल्कि उत्तर प्रदेश की न्याय व्यवस्था पर भी गहरी चोट करता है। उन्होंने राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में लिखा कि मुख्यालय ने उनके मामले की जांच के लिए 7 दिन का समय मांगा था, लेकिन एक महीने बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
नेहा ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें डर के माहौल में जीना पड़ रहा है। "अब बाहर निकलती हूं तो डर लगता है। मेरे घर पर कोई सामान भी नहीं ला सकता। ऐसे घुट-घुटकर जीने से बेहतर है मर जाना।"
उल्लेखनीय है कि पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह पर पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं और वह विभिन्न जांचों में दोषी पाए गए हैं, फिर भी उन्हें संरक्षण मिलता रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि योगी सरकार की प्रशासनिक प्रणाली न सिर्फ भ्रष्टाचार को नजरअंदाज कर रही है, बल्कि उसे संरक्षण भी दे रही है।
इस पूरे मामले ने योगी सरकार की कथित 'जीरो टॉलरेंस' नीति की सच्चाई को उजागर कर दिया है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उत्तर प्रदेश में सच बोलने वालों और न्याय की मांग करने वालों के लिए सिर्फ डर, उत्पीड़न और अंततः आत्मसमर्पण ही विकल्प रह गया है?
यह घटना प्रदेश की न्याय व्यवस्था की विफलता और भ्रष्टाचार के खुले संरक्षण का जीता-जागता प्रमाण बन चुकी है।

