रंगीनमिजाज-भ्रष्टाचारी जेल अधीक्षक उमेश सिंह के खिलाफ रिपोर्ट में आई कारगुजारी !

 


त्रिपुरेश्वर त्रिपाठी सोनू





वाराणसी। एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचारियों को कड़ी चेतावनी देते हैं, तो दूसरी तरफ भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई न होने से सवाल उठ रहे हैं।




वाराणसी के पूर्व जिला जेल अधीक्षक उमेश सिंह के खिलाफ विभागीय जांच में गंभीर आरोप साबित हो चुके हैं। उनके कार्यकाल में न केवल भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए, बल्कि एक बंदी की फर्जी रिहाई भी हुई। आश्चर्यजनक रूप से, इस फर्जी रिहाई में मुख्य आरोपी उमेश सिंह पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ, बल्कि रिहा किए गए बंदी पर ही मामला दर्ज कर दिया गया। अगर यही कृत्य किसी अन्य जेल अधिकारी ने किया होता, तो अब तक उसे निलंबित कर दिया गया होता।


सूत्रों के अनुसार, उमेश सिंह की ऊंची राजनीतिक पकड़ के चलते उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। बताया जा रहा है कि वह एक पूर्व बीजेपी सांसद के रिश्तेदार भी हैं, जिससे उनकी पहुंच और मजबूत हो जाती है। इस बीच, उमेश सिंह खुद तो सुरक्षित हैं, लेकिन पूर्व डिप्टी जेलर मीना कनौजिया को फंसाने की साजिश रच रहे हैं।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करते हैं, लेकिन यदि वह वास्तव में भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई के प्रति गंभीर हैं, तो उन्हें उमेश सिंह के खिलाफ सख्त कार्यवाही करके भ्र्ष्टाचारीयों को यह सन्देश देना चाहिए कि कोई भी हो भ्र्ष्टाचार के मुद्दे पर उसे बख्शा नही जाएगा।अन्यथा, भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके सख्त बयान महज हास्य का विषय बनकर रह जाएंगे।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने