वाराणसी मे सूदखोरों का आतंक

 सूदखोरों का आतंक: पीड़िता से घर में घुसकर मारपीट, 5 लाख का लिया 18 लाख,  पुलिस से शिकायत के बाद मिल रही है धमकी




वाराणसी। लालपुर-पांडेयपुर थानांतर्गत एक पीड़िता ने कुछ समय पहले लिया था ब्याज पर 5 लाख, अब तक सूदखोरों ने ले लिया 18 लाख और मांग रहे मूल ।


अपने साथ हुए अत्याचार और कर्ज के दबाव से छुटकारा पाने के लिए पुलिस से मदद की गुहार लगाई, लेकिन पुलिस के रवैये ने उसे और निराश कर दिया। घटना के अनुसार, महिला ने 112 पर कॉल करके पुलिस से सहायता मांगी, जिसके बाद स्थानीय पुलिस को मौके पर बुलाया गया।




पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले का जायजा लिया, लेकिन जब पीड़िता ने अपनी स्थिति और दबाव का जिक्र किया, तो पुलिस ने उसे आश्वासन देने के बजाय उल्टा यह कहा कि "अगर ब्याज पर पैसे लिए हैं तो देना तो पड़ेगा।" यह सुनकर पीड़िता पूरी तरह से हताश हो गई और उसने अंततः कोई तहरीर नहीं दी। यह घटना उस सवाल को जन्म देती है कि जब खुद कानून के रखवाले ही ऐसे शब्दों का प्रयोग करें, तो पीड़िता को न्याय की उम्मीद कहां से होगी? क्या ऐसे में पीड़ितों को न्याय मिल पाना संभव है?


फिलहाल, पीड़िता ने किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज नहीं करवाई है, और पुलिस का यह रवैया उन तमाम लोगों के लिए एक चिंता का विषय बन गया है, जो कर्ज और सामाजिक दबाव के चलते न्याय की तलाश करते हैं।


बिना साहूकारी लाइसेंस के चल रहा सूदखोरी का कारोबार, इसलिए पीड़ित कर रहे आत्महत्या, अभी ऐसा है प्रदेश का मौजूदा कानून


प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में बिना लाइसेंस के सूदखोरी का कारोबार करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।हालत यह है कि हर मोहल्ले में ब्याज पर पैसे देने वाले सक्रिय है। सूदखोरों का आतंक खत्म करने के लिए कई बार अभियान चलाकर पुलिस ने कार्यवाही की लेकिन इधर ऐसे कई केसेस सामने आए है जो भयानक है

क्या है सुधखोरी पर कानून 

कानून में यह है प्रविधान:- 

कानून के जानकारों के अनुसार अभी तक राज्य सरकार के पास सूदखोरी को नियंत्रण करने के लिए कोई अलग से कोई कानून नहीं है। सिर्फ शिकायत पर अधिनियम 1937 के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 384 के तहत एफआईआर दर्ज होता है। ब्याज का कारोबार करने वालों के अकाउंट का पंजीयन, इस पर अनुविभागीय अधिकारी एक निर्धारित प्रपत्र जारी करते हैं, देनदारों द्वारा दी गई राशि का विवरण दर्ज होना चाहिए।अगर कर्जदार रकम वापस नहीं करे तो साहूकार दादागिरी नहीं कर सकता। उसे सिविल कोर्ट में वसूली के लिए वाद दायर करना होता है। - बिना रजिस्ट्रेशन पेढ़ी संचालन कर रोजनदारी से राशि जमा करना और कर्ज देना अपराध है। - दोषियों पर मनी लांड्री एक्ट में कार्रवाई हो सकती है।अभी शासन और प्रशासन स्तर से कोई मानीटरिंग नहीं होती है। मनमाने ब्याज दरों पर लोगों को पैसा देते है। यह अपने कारोबार का कोई लेखा-जोखा नहीं रखते है। न ही उसकी अभी कोई आडिट कराते हैं, जबकि नियम है कि मूलधन से ज्यादा ब्याज नहीं वसूला जाना चाहिए।


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने