वाराणसी बारिश और आँधी बनी किसानों की दुश्मन धान-ज्वार-बाजरा की फसलें बर्बा
वाराणसी। चौबेपुर क्षेत्र के कादीपुर कलां गांव में पिछले दो दिनों से जारी आसमानी बारिश ने किसानों के सपनों को रौंद डाला है। जिस बारिश की बूँदों ने एक दिन पहले तक अन्नदाताओं के चेहरे पर खुशी की चमक बिखेरी थी, वही बूँदें दूसरे दिन तेज आँधी और मूसलाधार वर्षा बनकर आईं और खड़ी फसलों पर काल बनकर बरसीं। खेतों में पसरा यह मंजर सिर्फ फसल का नुकसान नहीं, बल्कि साल भर की मेहनत और उम्मीदों का मटियामेट होना है।
पहले दिन की झमाझम वर्षा को देख कर किसान फूले नहीं समा रहे थे। उन्हें लगा कि अब उनकी प्यासी धरती को राहत मिलेगी और फसलें और लहलहा उठेंगी। लेकिन उनकी यह खुशी चंद घंटों की ही मेहमान निकली। दूसरे दिन जैसे ही मौसम ने करवट ली, तेज आँधी ने तांडव शुरू कर दिया। इसके बाद आई मूसलाधार वर्षा ने बची-खुची कसर भी पूरी कर दी।
धान, ज्वार और बाजरा पर कहर
कादीपुर कलां सहित आसपास के क्षेत्रों में मुख्य रूप से धान ज्वार और बाजरा की फसलें लगाई गई हैं। किसानों ने दिन-रात एक करके इन्हें सींचा था, लेकिन अब ये फसलें खेतों में बुरी तरह से बिछ गई हैं। जो बालियाँ कटाई के लिए तैयार थीं वे मिट्टी और पानी में सनकर बर्बाद हो चुकी हैं। किसानों का कहना है कि आँधी और बारिश तेज थी कि फसलें सीधी खड़ी रह ही नहीं पाईं। अब खेतों में केवल टूटा हुआ तिनका और निराशा ही दिखाई दे रही है।
सरकार से मदद की गुहार: पेट पर लात पड़ी है
बर्बाद हुई फसलों को देख कर किसानों की आँखे नम हैं। कई किसानों ने नम आँखों से बताया कि इस नुकसान से उनकी कमर टूट गई है। यह केवल अनाज नहीं है, यह हमारे बच्चों का पेट पालने का सहारा था। अब हम क्या करें
चौबेपुर और आस पास के किसानों ने अब स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार से तत्काल मदद की गुहार लगाई है। उनकी माँग है कि जल्द से जल्द फसल क्षति का सर्वेक्षण कराया जाए और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए ताकि वे इस आपदा से उबर सकें। इस कठिन समय में सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता ही इन हताश अन्नदाताओं के लिए एकमात्र सहारा बन सकती है
_सवाल: क्या स्थानीय प्रशासन ने
अब तक इस नुकसान के आकलन के लिए कोई टीम भेजेगी भी या नहीं
