जेल अधीक्षक उमेश सिंह से पीड़ित डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया
सवाल पीड़ित के साथ सरकार का यह कैसा न्याय
वाराणसी। उड़ती खबर है कि जेल की डिप्टी जेलर मीना कनौजिया पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की तैयारी की जा रही है, जबकि वह लंबे समय से जेल अधीक्षक उमेश सिंह के अत्याचार की शिकार रही हैं। उनके खिलाफ की जा रही यह कार्रवाई एकतरफा और अन्यायपूर्ण मानी जा रही है।
मीना कनौजिया ने अपनी वर्दी में उमेश सिंह की करतूतों को उजागर किया था, जिसमें जेल के भीतर अवैध वसूली, नशे का सामान बिकवाना, सट्टा चलवाना,महिलाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार जैसी गंभीर आरोप शामिल हैं। यही नहीं, सुल्तानपुर जेल में दो बंदियों की हत्या के आरोप भी उमेश सिंह पर लगे थे। बाराबंकी जेल अधीक्षक रहते हुए उन्होंने तत्कालीन जेल मंत्री के आवास पर नशे की हालत में पहुँचकर पचास हजार रुपये रिश्वत देने की कोशिश की, जिसकी एफआईआर भी दर्ज हुई। सवाल यह है कि सरकार ने आज तक उमेश सिंह के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई क्यों नहीं की गयी।
मीना कनौजिया का बावर्दी वीडियो बनाना नियमों के खिलाफ हो सकता है, लेकिन यदि किसी महिला अधिकारी को न्याय नहीं मिल रहा, तो उसके पास सच्चाई उजागर करने के क्या विकल्प है। उन्हें पहले ही निलंबित किया जा चुका है। अब यदि योगी सरकार उनके खिलाफ बर्खास्तगी जैसी कठोर कार्रवाई करती है, तो यह न सिर्फ एक महिला अधिकारी के साथ घोर अन्याय होगा, बल्कि यह कार्रवाई पक्षपात और भेदभाव का परिचायक भी होगी।
मीना कनौजिया को न्याय मिलना चाहिए, न कि उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की सजा दी जानी चाहिए।
