बनारस में भ्रष्टाचार को सिंच रहा सिंचाई विभाग !

 तीन साल से गायब कर्मचारियों को मिल रहा वेतन



लोकायुक्त और विजिलेंस से होगी जांच



वाराणसी। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सिंचाई विभाग का नलकूप खंड भ्रष्टाचार के मामलों में सुर्खियों में बना हुआ है। यहां अधिकारियों को मानो भ्रष्टाचार करने की खुली छूट मिल गई है।


ताजा मामला यह है कि वाराणसी कैंट से भाजपा विधायक सौरभ श्रीवास्तव को सिंचाई विभाग में अनियमितताओं की लगातार शिकायतें कार्यकर्ताओं और समाचारपत्रों से मिल रही थी। इसी क्रम में कुछ दिन पूर्व उन्होंने मोटरसाइकिल से औचक निरीक्षण कर नलकूप खंड प्रथम के स्टोर का जायजा लिया।


औचक निरीक्षण में खुलासा


जब विधायक स्टोर पहुंचे तो वहां कई कर्मचारी नदारद थे। जो कर्मचारी मौजूद थे, वे भी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। हाजिरी रजिस्टर की जांच में पाया गया कि कुछ कर्मचारियों के हस्ताक्षर मौजूद थे, जबकि कुछ के नहीं थे।


विशेष रूप से बचाउ राम का नाम रजिस्टर में दर्ज था और हस्ताक्षर भी मौजूद थे, लेकिन वह खुद वहां नहीं था। वहीं, चंदन मिश्रा का नाम हाजिरी रजिस्टर में अंकित ही नहीं था। सूत्रों के अनुसार, चंदन मिश्रा के लिए एक अलग रजिस्टर बनाया गया है, जिसका इस्तेमाल फर्जी हस्ताक्षर कर वेतन भुगतान के लिए किया जाता है।


जब विधायक ने इस संबंध में एसडीओ राजीव सोनकर से फोन पर बात की, तो उन्होंने बताया कि वे बाहर हैं। इसके बाद विधायक ने कुछ समय विभाग में बिताया और फिर लौट गए।


भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की जगह लापरवाही-


विधायक के निरीक्षण के बाद जब मामला सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के विभागाध्यक्ष के संज्ञान में आया, तो उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिए। लेकिन अधिकारियों ने निर्देशों को गंभीरता से लेने के बजाय उनका स्क्रीनशॉट नीचे तक फॉरवर्ड कर दिया, जिससे विभागाध्यक्ष का संदेश एसडीओ से लेकर चपरासी तक घूमता रहा। यह इस बात का प्रमाण है कि विभाग में उच्चाधिकारियों के आदेशों की कितनी अवहेलना की जाती है।


स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है। नियमों को ताक पर रखकर कमीशन लेकर लगातार तीन वर्षों से वेतन जारी किया जा रहा है। एसडीओ राजीव सोनकर जैसे ही कमीशन प्राप्त करते हैं, वेतन भुगतान के लिए तत्पर हो जाते हैं।


सूत्रों के अनुसार, विभाग के एक वरिष्ठ सहायक ने खुद को इस भ्रष्टाचार से अलग कर लिया है, लेकिन जो लोग इसमें संलिप्त हैं, वे हस्ताक्षर करवाकर वेतन जारी करवा रहे हैं। हालांकि, यह रवैया एसडीओ को पसंद नहीं आ रहा क्योंकि वह किसी भी हाल में कमीशन छोड़ने को तैयार नहीं हैं, भले ही इसके लिए जेल ही क्यों न जाना पड़े।


लोकायुक्त और विजिलेंस से होगी जांच


सूत्रों के अनुसार, एक गैर सरकारी संगठन ने इस घोटाले की शिकायत लोकायुक्त और विजिलेंस में करने की तैयारी कर ली है, क्योंकि यह मामला भ्रष्टाचार और राजस्व हानि से जुड़ा हुआ है।


बताया जाता है कि एसडीओ राजीव सोनकर ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया है कि "विधायक और अधिकारियों के निरीक्षण रोज होते रहते हैं, तुम लोग अपना काम करते रहो।"


अधिशासी अभियंता पर भी गंभीर आरोप-


इस भ्रष्टाचार में नलकूप खंड के अधिशासी अभियंता उदय शंकर सिंह की भूमिका भी संदिग्ध है। आम जनता भी उनकी कार्यशैली से असंतुष्ट है। शिकायतें हैं कि वह सीयूजी फोन नहीं उठाते और न ही नियमित रूप से कार्यालय आते हैं। ठेकेदारों के साथ बैठक और "सेटिंग" के लिए ही कार्यालय में उनकी उपस्थिति दर्ज होती है।


कुछ दिन पहले अधीक्षण अभियंता ने भी औचक निरीक्षण किया था, लेकिन उन्हें वही स्थिति देखने को मिली, जो विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने देखी थी। बावजूद इसके आज तक कोई सुधार नहीं हुआ।


अब भी जस की तस स्थिति


विधायक के निरीक्षण के बाद भी सिंचाई विभाग में कोई सुधार नहीं हुआ है। अधीक्षण अभियंता इस मामले में निष्क्रिय बने हुए हैं और विभाग की राजस्व हानि से उन्हें कोई सरोकार नहीं है।


सवाल यह उठता है कि जब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में सिंचाई विभाग में खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है, तो इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम कब उठाया जाएगा? क्या लोकायुक्त और विजिलेंस की जांच के बाद ही इस घोटाले पर लगाम लगेगी।

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