वाराणसी (काशी): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में बृजएंक्लेव कॉलोनी स्थित मुंशी प्रेमचंद पार्क में 'हिंदू सम्मेलन' का भव्य आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के धर्म जागरण प्रमुख अभय कुमार ने प्रखर विचार रखते हुए कहा कि "भारत का होकर ही भारतीय संस्कृति को समझा जा सकता है। हिंदू शब्द केवल एक धर्म का सूचक नहीं, बल्कि समस्त भारतीयों की मूल पहचान और गौरवशाली परिचय है।"
हिंदू शब्द: संघर्ष और अस्मिता का प्रतीक
संबोधन के दौरान अभय कुमार ने ऐतिहासिक तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्राचीन काल में जब सभी सनातनी थे, तब हिंदू शब्द का प्रचलन सीमित था। विदेशी आक्रांताओं के आगमन के बाद भारत के मूल निवासियों ने स्वयं की विशिष्ट पहचान बनाए रखने के लिए इस शब्द को आत्मसात किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्लाम और ईसाई धर्म के अस्तित्व में आने से सदियों पहले से यह सनातन परंपरा जीवंत है।
विभाजनकारी नीतियों पर प्रहार
मुख्य वक्ता ने कहा कि लंबे समय तक विदेशी आक्रमणों और संघर्षों के कारण हिंदुओं में अपनी पहचान को लेकर एक संकोच पैदा करने का प्रयास किया गया। उन्होंने जातिगत और सामाजिक विभाजन पर डेटा साझा करते हुए कहा:
भारत में जातियों का लिखित उल्लेख 1872 से मिलता है।
छुआछूत जैसी कुरीतियाँ 712 ईस्वी के बाद बाहरी प्रभावों से शुरू हुईं।
आजादी के बाद और 1990 के दशक में विभिन्न श्रेणियों (SC, ST, OBC) के माध्यम से हिंदू समाज को विखंडित करने की कोशिशें की गईं।
समाधान का मार्ग: उन्होंने समाज की समस्याओं के निराकरण के लिए 'सहभोज' (एक साथ भोजन) और सामूहिक विमर्श को अनिवार्य बताया।
सांस्कृतिक प्रस्तुति और संबोधन
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रख्यात लेखिका विनीता ने ओजपूर्ण राष्ट्रभक्ति कविता प्रस्तुत कर श्रोताओं में जोश भर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे IIT-BHU के छात्र अधिष्ठाता राजेश ने कहा कि माता-पिता से मिलने वाले संस्कार ही मनुष्य को राष्ट्र के साथ एकाकार करते हैं। उन्होंने हिंदुओं के लिए 'आत्मबोध' की आवश्यकता पर बल दिया।
विशिष्ट जनों की उपस्थिति
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री हनुमान ध्वज यात्रा समिति के संस्थापक रामबली और अगिया जोगिया वीर बाबा मंदिर के महंत रामदास ने भारत माता के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन कर किया। मंच संचालन कृष्ण मोहन तिवारी ने किया।
इस अवसर पर कृष्णानंद, अभिषेक मणि, पार्षद मदन मोहन, अंकित, डॉ. अजय पाण्डेय, दिवाकर सहित संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता और बड़ी संख्या में मातृशक्ति उपस्थित रही।
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